Pahli Machis ki tili - 1 in Hindi Thriller by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | पहली माचिस की तीली - 1

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पहली माचिस की तीली - 1

पहली माचिस की तीली

रहस्य, जासूसी और कत्ल सस्पेंस की अनोखी कहानी

अध्याय 1

"गुड मॉर्निंग डैडी....!"

उनके कान की तरफ वेलवेट जैसे मीठी आवाज सुनकर हाई कोर्ट के न्यायाधीश सरवन पेरूमल ने आंखें खोली। ।

बेटी अजंता का मुस्कुराता चेहरा उन्हें देखने को मिला। बेटी के गाल को प्यार से छूकर "गुड मॉर्निंग" कहकर उठ बैठे।

खिड़की के बाहर अंधेरा दिखाई दे रहा था।

"क्या समय हुआ बेटा...?"

"5:30..."

"तुम्हारी अम्मां उठ गई क्या...?"

"5:00 बजे ही...."

"तुम्हारा बड़ा भाई.... किशोर....?"

"4:30 बजे.... उठ कर... जोगिंग के लिए चला गया।" अजंता अप्पा के ओढ़े हुए चादर को तह बनाते हुए बोली।

"रात को कितने बजे सोए थे अप्पा...?"

"1:00 बज गये थे बेटी।"

"जजमेंट को लिख कर खत्म कर दिया क्या अप्पा?"

"हां... खत्म कर दिया..."

"फैसला क्या है अप्पा...."

सरवन पेरूमल हंसे। "सुबह 11:00 बजे पता चलेगा....."

"अप्पा.... प्लीज....! सिर्फ मुझे... बता दीजिए। क्योंकि हत्या जिसकी हुई वह मेरे कॉलेज की लड़की है।,"

"फैसला क्या होगा तुम सोचती हो?"

अजंता बोलने के लिए मुंह खोलें उसके पहले ही - सरवन पेरूमल की पत्नी अमृतम हाथ में काफी के गिलास के साथ आई।

"फैसला क्या होना चाहिए आज पैदा हुआ बच्चा भी बता देगा? 18 साल की लड़की को तीन पैसे वालों के लड़कों ने किडनैप करके कार में उसके साथ बलात्कार कर और उस लड़की को टुकड़े-टुकड़े करके फेंक दिया। इस संसार में इस अन्याय के लिए उन तीनों को फांसी की सजा ही मिलनी चाहिए..... आपने वही दिया है ना?"

सरवन पेरूमाल हंसे।

"वह सस्पेंस है....! 11:00 बजे के पहले जजमेंट बाहर किसी को भी नहीं बता सकते।"

"उन तीनों पापियों पर दया दिखाकर छोटी उम्र के है ऐसा उन्हें उम्र कैद की सजा तो मत दे दीजिएगा.... तीनों जनों को एक साथ फांसी लगनी चाहिए....."

सरवन परुमाल कॉफी पीकर उठे। "हीटर डाल दिया अमृतम..."

"डाल दिया..."

"मैं जाकर नहा के आ जाता हूं। जजमेंट की कॉपी को लेकर पहले कपालेश्वर मंदिर जाकर आता हूं। जजमेंट मैं नहीं दूंगा। वह लोकनायकन देगा।"

"आपके साथ मैं भी मंदिर आती हूं।"

"क्यों? तुम भी आ रही हो क्या?"

"हां..."

"अजंता घर में अकेली रहेगी फिर...?"

"आपके नहा कर तैयार होने तक जोगिंग के लिए गया हुआ किशोर घर नहीं आ जाएगा...?"

"वह वहीं से टेनिस कोर्ट चला जाए तो...?"

"आज नहीं जाएगा....?"

"तुम कैसे बोल रही हो...?"

"जल्दी आने के लिए मैंने उसे बोला है..."

"अम्मा के बात को ना टालने वाला लड़का है ऐसा सोचती हो तुम। वह टेनिस कोर्ट जाकर जैसे हमेशा आता है उसी समय 8:00 बजे ही आएगा। बेकार लड़का...."

"सुबह-सुबह मेरे बेटे को गाली मत दो।"

"गाली ना दें तो क्या करें.... कंप्यूटर टेक्नोलॉजी कोर्स को खत्म कर हाथों हाथ एम.सी.ए. करने को बोला। कोचिंग सेंटर को चला रहा हूं कहकर शहर में घूम रहा है। सुबह टेनिस खेलना चाहिए, दोपहर को क्रिकेट खेलना चाहिए। ऐसे ही दिन काट रहा है...."

"ठीक है... ठीक... है! आप जाकर पहले नहा कर आओ... यह जो अर्चना कर रहे हो बाद में कर लेना...."

सरवन पेरूमाल बाथरूम के अंदर घुसे। अमृतम रसोई घर की ओर गई तो अजंता बैठक में गई।

ग्रीन सरियों के बीच से गिरे न्यूज़ पेपर को उठाकर खोला ।

‌पहले पन्ने पर ही बड़े-बड़े हेडिंग के नीचे वह खबर छपी थी।

कॉलेज की लड़की का बलात्कार कर हत्या का फैसला आज।

चेन्नई जून 27

पिछले साल कॉलेज की छात्रा दमयंती 18 साल की लड़की को तीन अमीर लड़कों सुरेश 24 साल, कमल कुमार 23 साल, अलफोंस 24 साल तीनों ने कार में उसे किडनैप करके उसके साथ बलात्कार

कर उसे मार डाला उसका फैसला आज होगा। तमिलनाडु को हिला के रख देने वाली यह हत्या पहले सेशन कोर्ट में सुनवाई हुई फिर उच्च न्यायालय में आया। 10 दिन पहले दोनों तरफ के वाद-विवाद खत्म हुए अब फैसला 27 मई के दिन न्यायाधीश सरवन पेरूमाल करेंगे |

फिर....

टेलीफोन की घंटी बजी-

पेपर को ऐसे ही पटक कर जल्दी से जाकर रिसीवर को उठाया।

"हेलो..."

"कौन बात कर रहा है... अजंता..? एक आदमी की आवाज आई।

"हां... आप कौन हैं...?"

"क्या बात है अजंता... मेरी आवाज को भी भूल गई...? मैं अनंताकृष्णन अंकल रिटायर्ड जज....."

"अरे आप... गुड मॉर्निंग अंकल...."

"गुड मॉर्निंग... गुड मॉर्निंग....! अप्पा उठ गए क्या बेटी...?

"उठ गए। नहा रहे हैं..."

"अम्मा है क्या?"

"है.."

"उन्हें बुलाइए...."

अजंता रिसीवर के मुंह को ढक कर रसोई की तरह आवाज दी।

"अम्मा...! आनंद कृष्णन अंकल फोन पर है। उन्हें आप से बात करना है....."

अमृतम अपने गीले हाथों को साड़ी के पल्लू से पोंछकर जल्दी-जल्दी आकर रिसीवर को लिया।

"नमस्कारम .... मैं अमृतम बात कर रही हूं... वे बाथरूम में है..."

"कोई बात नहीं.... बात को तुम से कहे तो क्या है.... उनसे कहे तो क्या...?

"क्या बात है बताइए...?

"वह कुन्नूर स्टेट का लड़का आज जर्मनी से आ रहा है। मद्रास में दो दिन ठहर कर फिर कुन्नूर जाएगा। उसके यहां रहने वाले दो दिनों में कोई एक दिन अजंता को देखने का इंतजाम कर दे.... मैं वॉकिग

कर रहा था तो ब्रोकर सामने आया तो उसने बताया...."

अमृतम खुश हो गई।

"आप जैसे बोले ठीक है..."

"इसमें आपकी सहूलियत खास है ना?"

"ठीक है! कल सुबह 10:00 बजे लड़के को आने दीजिए।"

"ब्रोकर को कह दूंगा।'

"लड़के के साथ और कौन-कौन आ रहे हैं...?"

"लड़का और उसकी अम्मा ही आ रहे हैं...! यह एक संप्रदाय है। लड़के ने आपकी लड़की अजंता के फोटो को देखकर ओ.के. बोल दिया..."

"कल आप भी आना। उनसे बात करने में हमें भी सहूलियत होगी...."

"आऊंगा... आऊंगा.... मैं तो रिटायर्ड आदमी हूं। घर में बैठकर क्या करूंगा...?" वे हंसकर बोलते हुए रिसीवर को रखकर अमृतम मुड़कर अजंता को मुस्कुराकर देखा।

"आज आंखें खुली वह समय शुभ है ....! वह कुल्लूर स्टेट का लड़का तुम्हें देखने आ रहा है समाचार आया। कल कॉलेज से छुट्टी ले लेना...."

"जा.. अम्मा..."

"क्या जा अम्मा...? लड़के को आने से मना कर दें क्या?"

"जा.. अम्मा..."

"इसके लिए भी जा अम्मा...?" अमृतम हंसते हुए रसोई की तरफ गई-

अजंता की आंखों में सपने लिए सोफे पर बैठी। पिछले महीने ब्रोकर ने जो फोटो दिखाया था वह उसके मन में घूम रहा था।

'आदमी हीरो जैसा कितना हैंडसम है...?"

"फोटो में ही मुझे इतना मोहित करने वाला सामने कैसा होगा...?"

'कल वे मुझे देखने आएंगे तो मैं प्योर सिल्क की साड़ी पहनूं क्या...? नहीं तो मॉडर्न कुछ ड्रेस पहनूं क्या?'

वह योजनाओं में तैर रही थी तभी बाहर की घंटी बजी।

अजंता ने दीवार घड़ी को देखा।

समय 6:05

कामवाली बाई आ गई।

जाकर दरवाजा खोला।

बाहर---

वह 40 साल के आदमी खड़े थे। पजामा और कुर्ता पहने शरीर से हल्की सेंट की खुशबू आ रही थी। हाथ में एक ब्रीफकेस था।

अजंता ने पूछा।

"आपको किससे मिलना है....?

"जज साहब से मिलना है।"

"आप...?"

"मेरा नाम पंढरीनाथ है। साहब मुझे अच्छी तरह जानते हैं...?"

"किस काम से आए हो....?"

"मुझे उनसे ही बात करनी है...."

"अंदर आ कर बैठिए..."

"साहब...?"

"नहा रहे हैं..."

पंढरीनाथ बड़ी भव्यता के साथ अंदर आ कर सोफे पर बैठे। उनकी निगाहें हाल के चारों ओर घूम रही थी।

अजंता तड़पती हुई रसोई मैं घुस कर कुकर में इडली के सांचे में घोल डाल रही उस अमृतम के कंधे को छुई।

"अम्मा..."

"क्या कामवाली आ गई...? उसे पहले बाहर झाड़ू लगाने को बोलो.... फिर पानी भरने को बोलो।"

"जो आए है वह कामवाली नहीं है अम्मा..."

"फिर कौन है..."

"कोई पंढरीनाथ है.... अप्पा के जानकार हैं।"

"नाम क्या बोला....? पंढरीनाथ?"

"हां।"

"इस नाम के किसी को अप्पा नहीं जानते! उस आदमी को कहां बैठाया है.....?"

"हॉल में...."

"अमृतम धीरे से जाकर - रसोई के पर्दे को धीरे से सरका कर हॉल में बैठे उस पंढरीनाथ को देखा। फिर असमंजस में अजंता से बोली।

"आदमी का चेहरा ही ठीक से नहीं दिख रहा....?"

"उसका चेहरा ही ठीक नहीं है अम्मा....! हाथ में ब्रीफकेस जैसा एक संदूक रखा है...."

"तुम्हारे अप्पा बाथरूम से आ गए क्या?"

"अभी नहीं आए अम्मा...."

अजंता के बोलते समय ही -

"खट।"

बाथरूम के दरवाजे की खुलने की आवाज आई। अमृतम ने झांक कर देखा।

नहा कर नई एनर्जी के साथ कमरे में टावल बांधकर सरवन पेरूमल बाथरूम से बाहर आए।

......................